Nur Khan : पाकिस्तान के नूर खान में क्या हुआ था 9 की रात?
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भारत ने पाकिस्तान के साथ सीजफायर को लेकर समझौता क्यों किया, यह सवाल हर भारतीय पूछ रहा है। विदेशी मीडिया के मुताबिक, वजह छिपी है पाकिस्तान के Nur Khan एयरबेस में।
9 मई 2025 की रात, जब दुनिया सोने की तैयारी कर रही थी, दक्षिण एशिया के दो परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसी, भारत और पाकिस्तान (India Pakistan War), युद्ध के कगार पर खड़े थे। तनाव इतना बढ़ गया था कि अमेरिका को तुरंत दखल देना पड़ा। CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को पाकिस्तान की ओर से खतरनाक एस्कलेशन यानी न्यूक्लियर हमले (Nuclear War) जैसी कोई गंभीर तैयारी की खुफिया जानकारी मिली थी।
अमेरिका के पास खुफिया इनपुट था कि भारत और पाकिस्तान के बीच का टकराव (India Pakistan War) अब परमाणु युद्ध का रूप भी ले सकता है। अभी तक अमेरिका ने कहा था कि वह इस मामले में दखल नहीं देगा, लेकिन जब बात यहां तक पहुंच गई, तो वॉशिंगटन को समझ आया कि केवल देखने से काम नहीं चलेगा।
CNN और NYT की रिपोर्ट्स के मुताबिक, वांस ने पहले डोनाल्ड ट्रंप से बात की, फिर तुरंत भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को फोन मिलाया।
आखिर अमेरिका ने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई और भारत ने इस संकट का जवाब कैसे दिया? पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बावजूद भारत क्यों रुका? आइए, इस घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
नींद उड़ाने वाला हमला
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि 9 मई की रात पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में मौजूद नूर खान एयरबेस (Nur Khan Airbase) के पास तीन बड़े धमाकों की खबर आई।
यह एयरबेस (Nur Khan) पाकिस्तान की सेना के लिए बहुत अहम है। यहीं से सेना के कई सामान और सैनिकों का आना-जाना होता है। साथ ही यह Nur Khan एयरबेस ऐसे प्लेन चलाता है जो हवा में उड़ते-उड़ते फाइटर प्लेन को ईंधन भरने में मदद करते हैं।
इस एयरबेस के पास ही पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों की निगरानी करने वाला दफ्तर भी है, जिसे स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन कहते हैं। माना जाता है कि पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु बम हैं, जो देशभर में अलग-अलग जगहों पर रखे गए हैं।
विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस हमले ने पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक बेचैनी बढ़ा दी। भारत का हमला बिल्कुल सटीक और नियंत्रित था। भारतीय सेना चाहती तो न्यूक्लियर स्ट्रैटजिक प्लान डिवीजन के मुख्यालय को भी निशाना बना सकती थी - लेकिन भारत ने शुरू से साफ किया हुआ था कि उसकी लड़ाई आतंकियों के खिलाफ है।
भारत ने पाकिस्तान के मिलिट्री बेस को भी तब निशाना बनाया, जब पाकिस्तान ने उकसाया। पाकिस्तान ने नागरिक और सैन्य ठिकानों पर हमले किए, तो जवाब में भारत को मेजर्ड स्टेप्स उठाने पड़े। 10 मई को प्रेस ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया था कि भारत ने पाकिस्तान के रफीकी, मुरिद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चूनियन जैसे ठिकानों को निशाना बनाया है।
भारत का कड़ा संदेश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने सिर्फ नूर खान (Nur Khan) ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के एक और बड़े बेस सरगोधा को भी टारगेट किया, जहां किराना पहाड़ियों के नीचे परमाणु हथियार छुपाने की जगह मानी जाती है। वहां भारत ने ऐसे हथियारों से हमला किया जो गहराई तक जाकर विस्फोट करते हैं।
इससे पाकिस्तान बुरी तरह घबरा गया। खबरें आईं कि उनके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने फौरन एक आपात बैठक बुलाई, जो उनके परमाणु फैसलों से जुड़ी होती है। बाद में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इसे नकार दिया, लेकिन साफ था कि पाकिस्तान डर गया था।
भारत ने यह साबित कर दिया कि वह जानता है पाकिस्तान ने कहां-कहां परमाणु हथियार छुपा रखे हैं, और जरूरत पड़ी तो वहां हमला भी कर सकता है।
इस कदम से इस्लामाबाद में हड़कंप मच गया। अब पाकिस्तान की कोई परमाणु नीति नहीं है। इसी बात ने अमेरिका को चिंता में डाला।
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